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पहली बार, उत्तराखंड में गौवंश रेस्क्यू अभियान की शुरुआत हुई।

तीन विभाग कोऑर्डिनेट कर रहे हैं, और अब तक 500 गौवंशों को गौशाला में आश्रय प्रदान किया गया है, जबकि संख्या 17 हजार से अधिक है।

उत्तराखंड में बड़ा पशुओं के रेस्क्यू का अभियान चलाया जा रहा है, इस अभियान को पशुपालन विभाग, शहरी विकास विभाग, और पंचायती राज विभाग के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। इस के लिए एक तीन मंत्रियों की समिति भी बनाई गई है, जिसमें पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा, पंचायत राज मंत्री सतपाल महाराज और शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल शामिल हैं। इन तीनों मंत्रियों ने प्रदेश भर में गोवंश संरक्षण के लिए बड़े स्तर पर काम करने के लिए कोऑर्डिनेट किया है। आवारा पशुओं का रेस्क्यू करने का उद्देश्य है कि इन निराश्रित पशुओं को गौशाला में भेजा जा सके। प्रदेश भर में बड़ी संख्या में आवारा पशु सड़कों पर घूमते हैं, जो एक्सीडेंट्स का भी बड़ा कारण बन रहे हैं। हाल ही में, कैबिनेट ने निराश्रित पशुओं के रेस्क्यू की योजना को मंजूरी दी थी।

पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि उत्तराखंड में निराश्रित गौवंशों की समस्या एक महत्वपूर्ण चुनौती है, और इन पशुओं से काफी नुकसान भी होता है। मंत्री ने बताया कि गौवंश के गौशालाओं के सुधार और पोषण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। इसके साथ ही, राज्य में पहली बार गौवंश को सड़कों से उठाकर गौशालाओं में रखने का निर्णय लिया गया है, और इस काम के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। इसके साथ ही, अगले 6 महीने में तकरीबन 45 से 50 नई गौशालाएं बनाने का लक्ष्य भी रखा गया है। इसके अलावा, पशुओं के पोषण के लिए प्रति पशु के लिए ₹80 की धनराशि को बढ़ा दिया गया है। इसके साथ ही, शराब की बोतल से प्रति बोतल पशुओं के पालन पोषण के लिए ₹1 कलेक्ट किए जा रहे हैं, और इसका लक्ष्य एक साल में 14 करोड़ रुपए की आय इकट्ठा करना है।