“बद्रीनाथ के पास मेरा मंदिर है!” — उर्वशी रौतेला के बयान से मचा बवाल, तीर्थ-पुरोहितों ने जताई कड़ी आपत्ति
रुद्रप्रयाग/चमोली/ बॉलीवुड अभिनेत्री और उत्तराखंड मूल की उर्वशी रौतेला एक बार फिर सुर्खियों में हैं—इस बार किसी फिल्म या फैशन शो को लेकर नहीं, बल्कि एक अजीबोगरीब दावे के कारण, जिसने धार्मिक समुदायों में हड़कंप मचा दिया है।

हाल ही में एक पॉडकास्ट के दौरान, जब उर्वशी से पूछा गया कि क्या लोग उनके लिए “जय उर्वशी” चिल्लाते हैं, तो उन्होंने बड़े आत्मविश्वास से कहा, “उत्तराखंड में तो पहले से ही मेरे नाम का मंदिर है, जहां लोग मेरी पूजा करते हैं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह मंदिर बद्रीनाथ धाम के पास स्थित है, और जब होस्ट ने आश्चर्य से पूछा कि क्या लोग सच में उन्हें देवी मानकर मन्नत मांगते हैं, तो उर्वशी ने मुस्कुराते हुए कहा, “अब मंदिर है तो वो ही करेंगे।”
इतना ही नहीं, उर्वशी ने दावा किया कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में भी उनकी फोटो लगाई गई है, जिस पर छात्र माला चढ़ाते हैं और उनकी पूजा करते हैं।

“ये मंदिर मेरी महिमा नहीं, आध्यात्म की परंपरा है…”
उर्वशी के इस बयान से उत्तराखंड के चारधाम से जुड़े तीर्थ-पुरोहितों में खासा आक्रोश फैल गया है। केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी, अंकित सेमवाल और गौ रक्षा विभाग के राष्ट्रीय महामंत्री थानापति मणि महेश गिरी महाराज ने इस पर तीव्र आपत्ति जताई है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि उर्वशी मंदिर, बद्रीनाथ धाम के पास चमोली जिले के बामणी गांव में स्थित है, जो क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी उर्वशी को समर्पित है। यह कोई नई संरचना नहीं, बल्कि वैदिक काल से जुड़ा एक पवित्र स्थल है।
संतोष त्रिवेदी का कहना है, “चारधाम और उसके आसपास के मंदिरों का अपना पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व है। फिल्म अभिनेत्री प्रसिद्धि पाने के लिए इन स्थलों का मजाक न बनाएं। अगर उर्वशी रौतेला माफी नहीं मांगती हैं, तो उनके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया जाएगा।”

उर्वशी मंदिर का इतिहास क्या है?
मां उर्वशी का यह मंदिर बद्रीनाथ के नजदीक उर्वशी पर्वत की तलहटी में स्थित है। मान्यता है कि यह वही स्थान है जहां भगवान विष्णु की जांघों से उर्वशी देवी प्रकट हुई थीं, जब वे तपस्या में लीन थे। यह मंदिर एक आध्यात्मिक स्थल है, ना कि किसी बॉलीवुड सेलिब्रिटी से जुड़ा हुआ तीर्थ। उर्वशी रौतेला के इस दावे ने एक बार फिर ये सवाल खड़ा कर दिया है कि सेलिब्रिटी स्टेटस का इस्तेमाल धार्मिक आस्थाओं से जुड़े स्थलों के प्रचार में कहां तक उचित है? उत्तराखंड की पवित्र धरती पर बने हज़ारों साल पुराने मंदिर केवल संस्कृति की धरोहर नहीं, भावनाओं की आधारशिला हैं।