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बैसरन घाटी (पहलगाम) में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत का अगला कदम क्या होगा?

(The Mountain Stories | 27 अप्रैल 2025)/22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल बैसरन घाटी (पहलगाम) में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। हमले में 26 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी गई। हमलावरों ने सुनियोजित तरीके से निशाना बनाते हुए निर्दोष नागरिकों को गोली मारी, जिससे सवाल उठने लगे हैं कि भारत अब पाकिस्तान के खिलाफ क्या अगला कदम उठाएगा?

क्या भारत सैन्य कार्रवाई करेगा या कूटनीतिक रास्ता चुनेगा?

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की रणनीति तेज कर दी है। विदेश मंत्रालय ने हमले के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों की संलिप्तता के सबूत विभिन्न देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को सौंपे हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया है कि भारत सैन्य विकल्प को पूरी तरह खारिज नहीं कर रहा है। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बयान दिया है कि “हम तैयार हैं, अंतिम निर्णय राजनीतिक नेतृत्व का होगा।” इससे अटकलें तेज हो गई हैं कि सीमित सैन्य कार्रवाई (जैसे सर्जिकल स्ट्राइक) भी एक विकल्प हो सकता है।

राजनयिक कार्रवाई से क्या संदेश देना चाहता है भारत?

द हिंदू के अनुसार, भारत इस हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र सहित कई वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान की निंदा कराने का प्रयास कर रहा है। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने स्पष्ट कहा कि “आतंकवाद को समर्थन देने वालों को वैश्विक जवाबदेही का सामना करना पड़ेगा।”

विश्लेषकों का मानना है कि भारत का यह रुख पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाने के लिए है, ताकि वह आतंकियों को समर्थन देना बंद करे।

क्या यह इंटेलिजेंस की विफलता है?

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में खुफिया सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि हमले से पहले कुछ अलर्ट जरूर जारी किए गए थे, लेकिन स्थानीय स्तर पर उन चेतावनियों को गंभीरता से नहीं लिया गया। इस वजह से इस घटना को रोकने में विफलता रही।

वरिष्ठ सुरक्षा विश्लेषक मारूफ़ रज़ा ने NDTV से बातचीत में कहा, “यह एक स्पष्ट खुफिया और सुरक्षात्मक चूक का मामला दिखता है। अब सिस्टम को तेजी से दुरुस्त करने की जरूरत है।”

क्या यह अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद उपजे असंतोष का परिणाम है?

बीबीसी हिंदी के एक विश्लेषण में बताया गया है कि हालिया हमले को अनुच्छेद 370 हटाने के बाद के स्थायी असंतोष से जोड़ना आसान है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे जटिल है। विशेषज्ञों का कहना है कि आतंकी संगठनों के पीछे पाकिस्तान की निरंतर सक्रियता इसका मुख्य कारण है, न कि आंतरिक असंतोष।

पूर्व आईबी प्रमुख सैयद आसिफ इब्राहिम ने इंडिया टुडे से कहा, “पाकिस्तान अपने पुराने आतंकवादी ढांचे का फिर से उपयोग कर रहा है, ताकि जम्मू-कश्मीर में शांति प्रक्रिया को पटरी से उतारा जा सके।”

कश्मीर पर किस तरह का प्रभाव पड़ेगा?

कश्मीर ओब्जर्वर के अनुसार, इस हमले से स्थानीय पर्यटन पर तत्काल प्रभाव पड़ा है। कई टूर ऑपरेटर्स ने मई-जून के लिए बुकिंग रद्द होने की पुष्टि की है। इसके साथ ही स्थानीय लोगों के बीच डर और चिंता का माहौल फिर से बढ़ने लगा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि केंद्र सरकार को अब कश्मीर में विश्वास बहाली के कदमों को तेज करना होगा।

सिंधु जल संधि और चीन की भूमिका

द वायर की रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने संकेत दिया है कि भारत पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए सिंधु जल संधि के प्रावधानों पर पुनर्विचार कर सकता है। हाल ही में भारत ने इस संधि की समीक्षा के लिए नोटिस दिया था।

चीन की भूमिका को लेकर चिंताएं जताई जा रही हैं क्योंकि पाकिस्तान के साथ उसके रणनीतिक संबंध गहरे हैं। जल विशेषज्ञ हिमांशु ठक्कर ने द प्रिंट से बातचीत में कहा कि “चीन सिंधु जल के कुछ स्रोतों पर नियंत्रण रखता है। ऐसे में अगर भारत संधि पर पुनर्विचार करता है, तो चीन का समर्थन पाकिस्तान को मिल सकता है।”

भारत का अगला कदम क्या हो सकता है?

सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत तीन स्तर पर कार्रवाई कर सकता है:

  • सीमित सैन्य प्रतिक्रिया

  • पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करना

  • जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ करना

प्रधानमंत्री कार्यालय से जुड़े एक अधिकारी ने एएनआई को बताया, “इस बार भारत का जवाब ऐसा होगा कि यह लंबे समय तक याद रखा जाएगा।”


(The Mountain Stories की ओर से यह विशेष रिपोर्ट आपके लिए तैयार की गई है। हम इस घटनाक्रम पर लगातार नज़र बनाए हुए हैं। आगे की अपडेट के लिए हमारे साथ जुड़े रहें।)