राज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण का मुद्दा फिर लटका, प्रवर समिति की बैठक में नहीं आए विपक्षी विधायक
देहरादून: हाल के मॉनसून सत्र के दौरान, सरकार द्वारा राज्य आंदोलनकारी के क्षैतिज आरक्षण को लेकर लाए गए विधायकों की अनुपस्थिति के कारण प्रवर समिति की बैठक में सहमति नहीं प्राप्त हो सकी है। प्रेमचंद अग्रवाल ने इस विपक्षी अनुपस्थिति के लिए विपक्ष को दोषी ठहराया है।
राज्य आंदोलनकारी क्षैतिज आरक्षण पर सहमति नहीं हुई: प्रवर समिति के सभापति और कैबिनेट मंत्री, डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि उत्तराखंड राज्य में प्रमुख आंदोलनकारियों और उनके अनुयायियों को राजकीय सेवाओं में आरक्षण प्रदान किया जाने को लेकर धामी सरकार ने इस मॉनसून सत्र में आरक्षण विधेयक 2023 पेश किया था। यह विधेयक सदन में प्रस्तुत किया गया था और अब तक प्रवर समिति की मंजूरी नहीं मिली है। सोमवार को प्रवर समिति के अध्यक्ष डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल ने इस मुद्दे के संदर्भ में समिति के सभी सदस्यों को बैठक के लिए बुलाया था, लेकिन विपक्षी विधायकों ने उपस्थित नहीं होने का फैसला किया।
मॉनसून सत्र में पेश किया गया था क्षैतिज आरक्षण बिल: आपको बता दें कि जब भी सरकार द्वारा प्रदेश के किसी खास वर्ग के लिए इस तरह के बिल लाए जाते हैं, तो सदन द्वारा विपक्ष और पक्ष के विधायकों की मिलाकर बनाई गई समितियां में इस तरह के बिल परीक्षण और उनके तमाम पहलुओं को जांचने के लिए भेजे जाते हैं. इसी कड़ी में धामी सरकार द्वारा मॉनसून सत्र के दौरान राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों के लिए क्षैतिज आरक्षण का बिल पेश किया गया था. इसे विधानसभा अध्यक्ष द्वारा प्रवर समिति को भेज दिया गया था. प्रवर समिति के सभापति संसदीय कार्य मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल हैं तो वहीं इस समिति में सदस्य के रूप में विधायक मुन्ना सिंह चौहान, विनोद चमोली, उमेश शर्मा, शहजाद, मनोज तिवारी और भुवन चंद कापड़ी मौजूद हैं.
प्रेमचंद अग्रवाल ने विपक्ष पर लगाया आरोप: समिति के सभापति प्रेमचंद अग्रवाल ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि सरकार की तरफ से और सदन की तरफ से भी इस बिल की अहमियत और विशेषता को देखते हुए इसे प्रवर समिति को भेजा गया था ताकि इस संशोधन में विपक्ष की भी महत्वपूर्ण भूमिका बनी रहे लेकिन जिस तरह से न्यायोचित प्रक्रिया के तहत समिति में मौजूद विपक्ष के विधायकों को जानकारी और बैठक के लिए निमंत्रण भेजा गया था और विपक्ष के विधायकों द्वारा प्रवर समिति की इस महत्वपूर्ण बैठक में आने को लेकर अपना कंफर्मेशन भी दिया गया था, लेकिन आखिरी समय पर विपक्ष के विधायकों द्वारा समिति की बैठक में ना पहुंच कर यह दिखाया गया है कि वह प्रदेश के आंदोलनकारी के मुद्दों को लेकर बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं हैं. वह किसी भी तरह से राज्य आंदोलनकारियों और उनके परिजनों के साथ नहीं है.