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साहित्य व संस्कृति को समृद्ध करती है लोकभाषा

क्षेत्रीय बोली-भाषा ही वह माध्यम है जो लोक साहित्य और संस्कृति को समृद्ध करती है। महज अलमारी में सजी किताबों से लोक भाषा को समृद्ध नहीं बनाया जा सकता।

क्षेत्रीय बोली-भाषा ही वह माध्यम है जो लोक साहित्य और संस्कृति को समृद्ध करती है। महज अलमारी में सजी किताबों से लोक भाषा को समृद्ध नहीं बनाया जा सकता। इसे हमें अपने रोजमर्रा के कामों का हिस्सा बनाना चाहिए। कहीं भी रहें, आपसी संवाद की भाषा हमेशा अपनी लोकभाषा ही होनी चाहिए, जो हमारी मातृभूमि और लोगों की अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त जरिया है। रविवार को वसंत पंचमी के अवसर पर बड़ी मुखानी स्थित नरसिंह पैलेस में कुमाऊंनी के दो चार आखर विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने कुमाऊंनी भाषा के संबंध में यह विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की शुरुआत गणेश मर्तोलिया ने जोहारी लोकगीतों से की। कमल जोशी ने काले कौवा गीत सुनाया। साथ ही डॉ. सुरेश पंत की पुस्तक कुमाऊंनी क्रियापदों की पड़ताल पर चर्चा की गई। कार्यक्रम के खुले सत्र में अपने विचार रखते हुए कहा गया कि यह इस भाषा का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि इसके बोलने वालों की संख्या निरंतर घटती जा रही है।

कुमाऊंनी भाषा की विभिन्न धाराएं स्वयं अपने आप में काफी समृद्ध रही हैं। इसकी स्मृति को विस्तार देने के लिए सभी को आगे आना चाहिए। कुमाऊंनी बोली को सीखो और सिखाओ की भावना से हमें भाषा के प्रसार में मदद मिलेगी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. उमेश तिवारी ‘विश्वासÓ ने किया। इस अवसर पर तारा चंद्र त्रिपाठी, डॉ. प्रयाग जोशी, प्रो. उमा भट्ट, गजेंद्र पांगती, डॉ. प्रभात उप्रेती, भाष्कर उप्रेती, चारू तिवारी, चंद्रेशेखर करगेती, आर पाठक, देवी पांडे, नवीन पांगती, दयाल पांडे, ओपी पांडे सहित अन्य वक्ताओं ने अपने विचार रखे।

होली गायन में घोले फाग के रंग :  हिमालयन संगीत शोध समिति के जेकेपुरम मुखानी स्थित कार्यालय में वसंत पंचमी पर होली गायन के दूसरे चरण का शुभारंभ किया गया। इस मौके पर सौम्या तिवारी, रिद्मा पांडे, नव्या, निकिता ने शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत किए। साथ ही युवा कलाकार अविरल, हर्ष, उत्कर्ष ने होली गायन से संगीत की महफिल में फाग के रंग घोले। कार्यक्रम में आशुतोष उप्रेती, अभिषेक तिवारी, कमलेश कुमार, मनमोहन वर्मा सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

अहाना ने बांसुरी पर सुनाया राग भूपाली : स्वर संगम संगीत संस्थान में रविवार को सरस्वती पूजन का आयोजन किया गया। साथ ही संगीत के छात्रों के नए सत्र का शुभारंभ हुआ। इस मौके पर संस्थान के हीरानगर स्थित परिसर में छह वर्षीय बांसुरी वादिका अहाना ने अपनी प्रस्तुति दी। उन्होंने राग भूपाली में अलाप, मध्य लय की रचना सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर किया। उनके साथ बाल कलाकार प्रतिमा, युग जोशी ने तबले पर संगत दी। इसके अलावा मायावती बिष्ट ने सितार व पार्थ ने वायलिन पर मोहक धुन सुनाई। पलक जोशी, स्वर्णिमा, गरिमा मेहता व भावना कोरंगा ने रागों पर आधारित भजन सुनाए। रुद्रपुर से आए तबला वादक अमित गुप्ता की प्रस्तुति को दर्शकों ने खूब सराहा। इस अवसर पर आचार्य हरीश चंद्र पंत, विनीता पांडे, मीरा पंत, डॉ. मुकेश चंद्र पंत, कथक आचार्य रेनू तिवारी, विपिन जोशी सहित अन्य लोग मौजूद रहे।